पर्यावरण की स्थिति( आर्थिक समिक्षा 2022 )

 पर्यावरण की स्थिति


    आर्थिक समीक्षा में संरक्षण, पारिस्थितिक सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ त्‍वरित आर्थिक विकास के साथ संतुलन के महत्‍व को रेखांकित किया गया है और यह निम्‍नलिखित क्षेत्रों पर ध्‍यान केन्द्रित करता है :  


भूमि वन

समीक्षा में बताया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान भारत के वन क्षेत्र में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है और वह वर्ष 2010 से 2020 के बीच वन क्षेत्र के औसत वार्षिक शुद्ध लाभ में वैश्विक स्‍तर पर तीसरे स्‍थान पर है। इसी समय,  2011 से 2021 के दौरान भारत के वन क्षेत्र में 3 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई। ऐसा मुख्‍यत: बहुत घने जंगलों में वृद्धि के कारण हुआ, जिनमें इस अवधि के दौरान 20 प्रतिशत तक वृद्धि हुई।


प्‍लास्टिक अवशिष्‍ट प्रबंधन तथा एकल उपयोग वाली प्‍लास्टिक

समीक्षा में प्रधानमंत्री की इस घोषणा को दोहराया गया है कि वर्ष 2022 तक भारत एकल उपयोग वाले प्‍लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्‍त कर देगा। इस मामले पर वैश्विक समुदाय द्वारा कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता को स्‍वीकार करते हुए 2019 में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण सभा में भारत ने एक प्रस्‍ताव- एकल उपयोग वाले प्‍लास्टिक उत्‍पादों से होने वाले प्रदूषण से निपटना पारित किया।


घरेलू स्‍तर पर प्‍लास्टिक अवशिष्‍ट प्रबंध संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया, जिसका उद्देश्‍य एकल उपयोग वाले प्‍लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्‍त करना है। प्‍लास्टिक पैकेजिंग हेतु विस्‍तारित उत्‍पादक उत्‍तरदायित्‍व पर विनियमन का मसौदा भी अधिसूचित किया गया। यह कदम प्‍लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्‍ट की सर्क्‍युलर अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करने, प्‍लास्टिक और टिकाऊ पैकेजिंग के नये विकल्‍पों के विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया।


जल

भूजल संसाधन प्रबंधन और मूल्‍यांकन इस ओर संकेत करते हैं कि राज्‍यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों को पुनर्भरण, भूजल संसाधनों के अत्‍यधिक दोहन पर रोक लगाने सहित अपने भूजल संसाधनों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने की आवश्‍यकता है। समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है कि आकलनों में भारत के पश्चिमोत्‍तर और दक्षिणी भागों में भूजल संसाधनों के अत्‍यधिक दोहन की बात सामने आई है।


समीक्षा में कहा गया है कि मानसून के महीनों के दौरान जलाशय का लाइव भंडारण अपने चरम पर होता है और गर्मियों के महीनों में सबसे कम होता है। इसलिए जलाशयों के भंडारण, रिलीज और उपयोग की सावधानीपूर्वक योजना बनाने तथा समन्‍वय करने की आवश्‍यकता है।


नमामि गंगे मिशन की स्‍थापना के बाद से उसके अंतर्गत अनेक सीवेज अवसंरचना परियोजनाएं बनाए जाने को रेखांकित करते हुए आर्थिक समीक्षा में गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित अत्‍यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) के अनुपालन में सुधार होने पर प्रकाश डाला गया है, जो 2017 में 39 प्रतिशत से 2020 में 81 प्रतिशत हो गया। अपशिष्‍ट निर्वहन में भी कमी आई है। यह 2017 के 349.13 एमएलडी से कम होकर 2020 में 280.20 एमएलडी हो गया।


वायु

देशभर में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता में 20-30 प्रतिशत कटौती का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया था। समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है कि यह कार्यक्रम 132 शहरों में लागू किया जा रहा है। समीक्षा में यह भी बताया गया है कि देश में विभिन्‍न स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण पर काबू पाने और उसमें कमी लाने के लिए कई अन्‍य कदम भी उठाए जा रहे हैं, जिनमें वाहन से होने वाला उत्‍सर्जन, धूल और कचरे को जलाने से होने वाला प्रदूषण तथा परिवेषी वायु गुणवत्‍ता की निगरानी शामिल हैं।


भारत और जलवायु परिवर्तन


     भारत ने उत्‍सर्जन में कमी लाने के लिए 2015 में पेरिस समझौते के अंतर्गत अपना प्रथम राष्‍ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) घोषित किया और 2021 में 2030 तक हासिल किये जाने वाले महत्‍वकांक्षी लक्ष्‍यों की घोषणा की। समीक्षा में वन-वर्ड-मूवमेंट: लाइफ शुरू करने की आवश्‍यकता रेखांकित की गई है, जिसका आशय है पर्यावरण के लिए जीवन शैली, जो बिना सोचे-समझे और विनाशकारी खपत के स्‍थान पर सावधानीपूर्वक और सोद्देश्यीपूर्ण उपयोग का अनुरोध करती है।


समीक्षा में इस बात का कभी उल्‍लेख किया गया है कि भारत ने जलवायु के संबंध में अंतर्राष्‍ट्रीय सौर सहयोग (आईएसए), आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और उद्योग संक्रमण के लिए नेतृत्‍व समूह (लीड आईटी समूह) के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर नेतृत्वकारी प्रदर्शन करता आ रहा है। वित्‍त मंत्रालय, आरबीआई और सेबी ने भी संधारणीय वित्‍त के क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं।  



 


आर्थिक सर्वेक्षण 2022

            आर्थिक सर्वेक्षण 2022

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey) संसद में पेश कर दिया है. संसद में पेश हुए सर्वे के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था पर ओमिक्रॉन का खास असर नहीं पड़ा है और कोविड की तीसरी लहर के बावजूद अर्थव्यवस्था में रफ्तार (economic growth) बनी हुई है. इसी के साथ आने वाले समय में इंडस्ट्रियल एक्टिविटी (Industrial Growth) के भी रफ्तार पकड़ने की संभावनायें मजबूत हो गई हैं. वहीं एग्री सेक्टर का स्थिर प्रदर्शन आने वाले वित्त वर्ष में जारी रहने का अनुमान है. महंगाई के भी आने वाले समय में नियंत्रित रहने का अनुमान दिया गया है. कुल मिलाकर आज पेश हुआ आर्थिक सर्वे संकेत दे रहा है कि देश की अर्थव्यस्था महामारी के असर से निकल चुकी है और आगे बढ़ने के लिये तैयार है



क्या होता है आर्थिक सर्वे

इकोनॉमिक सर्वे देश की अर्थव्यवस्था का सालाना रिपोर्ट कार्ड होता है. इसमें अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर का पूरे साल का प्रदर्शन दिया जाता है. इसके साथ ही पूरी अर्थव्यवस्था सहित सेक्टर को लेकर भविष्य को लेकर सभी योजनाएं भी सामने रखी जाती है. सर्वे में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी सामने रखा जाता है. ये इकोनॉमिक सर्वे देश के नये सीईए वी अनंत नागेश्वरन का पहला आर्थिक सर्वे होगा. वहीं महामारी की वजह से सर्वे डिजिटल रूप में होगा. इकोनॉमिक सर्वे के दो हिस्से होते हैं. वहीं हर साल के आर्थिक सर्वे का एक विषय होता है. पिछले सर्वे पर रोजगार पर जोर था. पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था. 1964 से इकोनॉमिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा.

क्या है आर्थिक सर्वे का अनुमान

आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान दिया गया है कि अगले वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत से लेकर 8.5 प्रतिशत के बीच रफ्तार हासिल कर सकती है . वहीं इस साल अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी. रिजर्व बैंक ने तीसरी लहर से पहले 9.5 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान दिया था. आज आए आंकड़ें इससे कम हैं लेकिन अंतर बहुत ज्यादा नहीं है. इससे साफ संकेत है कि कोरोना की तीसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर उतना गंभीर असर नहीं पड़ेगा जितना पहली दो लहर से पड़ा था. वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में इंडस्ट्रियल सेक्टर की ग्रोथ सबसे ज्यादा रह सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण का अनुमान है कि इंडस्ट्रियल सेक्टर में ग्रोथ 2021-22 में 11% रह सकती है. सेक्टर के ग्रोथ आंकड़ों में ये रफ्तार पिछले वित्त वर्ष के आई सुस्ती की वजह से देखने को मिला है. 2020-21 में इंडस्ट्रियल सेक्टर में 7 प्रतिशत की निगेटिव ग्रोथ थी. वहीं कृषि सेक्टर का स्थिर प्रदर्शन इस साल भी जारी रहेगा. सेक्टर 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ सकता है 2020-21 में एग्री सेक्टर में 3.6 प्रतिशत की ग्रोथ रही थी. वहीं सर्विस सेक्टर में 2021-22 में 8.2 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान दिया गया है. पिछले साल ग्रोथ का ये आंकड़ा 8.6 प्रतिशत का था.




sin tax ( पाप कर क्या है )

 सिन टैक्स

सिन गुड्स (Sin Goods) वे वस्तुएं होती हैं, जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है। जैसे- शराब और तंबाकू, फास्ट फूड, कॉफी, चीनी, जुआ और पोर्नोग्राफी। इस प्रकार की वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर या टैक्स ‘सिन टैक्स’ (Sin Tax) कहलाता है।



यह टैक्स लोगों को सामाजिक रूप से हानिकारक गतिविधियों और व्यवहार में शामिल होने से रोकता है, लेकिन वे सरकारों के लिए राजस्व का एक स्रोत भी प्रदान करते हैं।


1. चर्चा का कारण


2. क्या होता है सिन टेक्स?

सिन] टैक्स (sin tax) एक प्रकार का उत्पाद कर (excise tax) है जो विशेष रूप से और व्यक्ति के लिए निकारक वस्तुओं पर जाती है उरण के लिए शराब, तम्बा

मिनटेक्स (sin tax) की अनिष्ट का और पाप कर के नाम से भी जाना जाता है।

भारतीय स के सबसे का प्रतिनिधित्व क कोकाकोलाको और रेड बुल शामिल है, ने जीएसटी परिष ओंकटेक्स) श्रेणी से हटाने को कहा है।

●ा 'जीएसटी' (GST) में शराब कोला (Cola) आदि जैसे के नजरिये से हानिकारक या स्वास्थ्य के हिसाब से नुकसान उत्पादों पर नि Tax) लगाया जाता है।

3. क्या है जीएसटी?

>तु एवं सेवा कर), भारत में लागू एकअरजुलाई

2017 को किया गया था।

इसकर और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले तमाम को कोटाकर पूरे देश के लिए एक ही कर प्रणाली की गई है।

भारतीय संविधान में इस करव्यको लागू करने के लिए 101 वीं संशोधन किया ग सरकार में कई शारों ने इसे आजारी के बाद सबसे महाआर्थिक सुधार बताया है।

4. जीएसटी परिषद

करीत जीएसटी परिषद (Goods and Services Tax-GST Council

एक मुख्य निर्णय लेने की है, जो कि जीएसटी कानून के अंतर्गत होने वाले कार्या

के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेती है।

101ोधन अधिनियम में संविधान में अनुच्छेद 279ोगा तु एका को लागू करने के लिए जीएसटी परिषर के गठन को न कही गयी है।

5. जीएसटी परिषद का गठन व क्रियान्वयन

परिषद केंद्र और राज्यों के लिए एक संयुक्त होता है इसमें निम्नलिखित सदस्य होते है

● ●के रूप में मंत्री)

>प्रत्येक राज्य और दिल्ली पुडुचेरी एवं जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त या करायन के प्रभारी मंत्री या सवय के रूप में नामित कोई अन्य महे।

●जीएसटी परिषद का प्रत्येक निर्णय बैठक में कुल उपस्थित सदस्यों के 34 के बहुमत (759) में मतदान करने के बाद लिया जाता है।

बैठक में कुल डालेगम के 13 हिस्से का मूल्य केंद्र सरकार के कामी राज्य सरकारों का एक साथ मिलकर कुल मती का मूल्य 2/3 माना जाता है।

जीएसटी परिषद के सदस्यों की कुल संख्या में से आधे के साथ बैठकों का कोरम गठित होता है।

AA गौरतलब है कि जीएसटी परिषद सहकारी संवाद का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जहाँ केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।


K-आकार का आर्थिक सुधार क्या है


 - 2021 के नवीनतम दौर के अनुसार K-आकार की म.     रिकवरी कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित                अर्थव्यवस्था से उभर कर सामने आई |

- यह सर्वेक्षण मुंबई में स्थित थिंक टैंक पीपुल्स रिसर्च     आॅन इंडियाज कज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) द्वारा   किया गया




- एक तरफ टेक्नोलॉजी और आॅनलाइन कार्य वालो        को कोरोना में फायदा हुआ और दूसरी तरफ                 लोकडाउन लगने से अनेक मीडियम लोगों को नुकसान   हुआ


                                    Raguram Rajan

क्या है पैगासस , भारत और इजराइल सम्बन्ध

                      pegasus


Pegasus स्पाईवेयर मामले में आज सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश आया है. इसमें कहा गया है कि पेगासस जासूसी मामले की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 300 भारतीय पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने पर थे. आइए जानते हैं आखिर ये पेगासस क्या है और ये कैसे काम करता है. 


Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. जासूसी सॉफ्टवेयर होने की वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. इसके जरिए ग्लोबली 50,000 से ज्यादा फोन को टारगेट किया जा चुका है. इसमें 300 भारतीय भी हैं. 



NSO Group का बनाया Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में इंस्टॉल होते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है.

 


इजरायली कंपनी के अनुसार इसे क्रिमिनल और टेररिस्ट को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है. इसे सिर्फ सरकार को ही कंपनी बेचती है. इसके सिंगल लाइसेंस के लिए 70 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. फोन की खामी का फायदा उठा Pegasus को इंस्टॉल किया जाता है. इसके लिए कई तरीकों का यूज किया जाता है.




सर्बिया और आॅस्ट्रेलिया विवाद ( रियो टिटो )

 रियो टिंटो :-

                    -सर्बिया में आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की एक कम्पनी हैं जो लिथियम खनन का कार्य करती हैं


- रियो टिंटो कम्पनी का नोवाक जोकोविच (टेनिस प्लेयर) ने सर्बिया में विरोध कर के कहा कि यह कम्पनी पर्यावरण विरोध कार्य कर रही हैं

- जनवरी 2022 में आस्ट्रेलिया में टेनिस खेल की प्रतियोगिता रखी गयी |  जिसमें जोकोविच को आस्ट्रेलिया वालो ने खेलने नहीं दिया |


जोकोविच को मना करने का कारण

-आस्ट्रेलिया की सरकार ने कहा कि जोकोविच ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगाई

-जोकोविच इस बात को लेकर कोर्ट चले गये और कोर्ट ने जोकोविच को हरा दिया और अगले 3 साल तक आस्ट्रेलिया में खेलने से बेन लगा दिया



= बेन लगाने पर सर्बिया में कम्पनी का ज्यादा विरोध किया और  आंदोलन चलाया  जिससे सर्बिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि रियो टिटो अब सर्बिया में कार्य नहीं करेगी




क्या है बेड बैंक ( bed bank )

 bank -  एक ऐसी सस्था जो एक व्यक्ति से पैसा जमा 

               करवाती और दूसरे व्यक्ति को लाॅन के रुप में 

               ब्याज पर पैसा देती हैं|

NPA(Non Performing Asset) - व्यक्ति जब लाॅन

लेता हैं तो कुछ सम्पति गिरवी रखना पड़ता हैं यदि व्यक्ति

लाॅन कि किस्त 90 दिनों के अन्दर जमा नहीं कर पाता हैं तो उसे NPA कहा जाता हैं

bed bank -  

NARCL & IDRCL दोनों कम्पनी मिलकर एक ऐसी सस्था का निर्माण करते हैं जो लोग लाॅन कि किस्त जमा नहीं करते उनकी सम्पति बैंक से लेती हैं तथा बदले में 15% एडवांस पैसा देती हैं और बाकि 85% पैसा सम्पति बेचने के बाद पैसा देती हैं

NARCL

national asset reconstruction company limited

यह कम्पनी बैंक से NPA लेकर 15% एडवांस देती हैं


IDRCL

india debt resolution company limited

 यह कम्पनी NPA को बेचने का कार्य करती है

bed bank स्थापित करने सिंतबर 2021 में केन्द्रीय मंत्री मंडल ने पैसो की मंजूरी दी है

भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी अभी भी लंबित है


payment

सरकार ने NARCL को 30,600 करोड़ पैसा देगी जिससे NARCL बैंको को 15% एडवांस दे सकती हैं




क्या तीन हफ्ते बाद बन्द हो जाएगी स्पाइस जेट हवाई जहाज

                         

                              स्पाइस जेट 



एक कम कीमत वाली विमानन सेवा है जिसका मालिकाना हक सुन ग्रुप ऑफ़ इंडिया के पास है।[1] इसका पंजीकृत कार्यालय चेन्नई तथा तमिलनाडु में है एवं व्यावसायिक कार्यालय गुडगाँव हरियाणा[2] में है। इसनें अपनी सेवाएँ सन २००५, मई से शुरू की तथा २०१२ तक यह बाजार हिस्सेदारी के मामले में एयर इंडिया, किंगफ़िशर, एयरलाइन तथा गो-एयर को पछाड़ के, भारत की तीसरी सबसे बड़ी विमानन सेवा बन चुकी थी।[3] स्पाइस जेट बस एक यात्री वर्ग के अनुसार बने विमानों का ही संचालन करती है। यात्री सेवा के साथ साथ स्पाइस जेट उसी विमान से सामान के परिवहन की सुविधा भी प्रदान करती है।


सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइसजेट को दी राहत, क्रेडिट सुइस के साथ वित्तीय विवाद सुलझाने को मिला तीन सप्ताह का वक्त

स्विट्जरलैंड की कंपनी क्रेडिट सुइस एजी ने उच्च न्यायालय में कहा था कि स्पाइसजेट विमान इंजनों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉलिंग के अपने 2.4 करोड़ डॉलर के बिलों का भुगतान करने में विफल रही है।


पाकिस्तान ने अपनी हाई-वे को गिरवी रख कर लिया लाॅन

       पाकिस्तान ने अपनी हाई-वे को गिरवी रख कर                                        लिया लाॅन

बैंक (bank)

एक ऐसी सस्था जो पैसा जमा करने पर ब्याज सहित 

लोटाती है और लाॅन लेने पर ब्याज सहित वापिस लेती हैं


इस्लामिक बैंक (islamic bank)

यह वह सस्था है जो ब्याज लेने पर अपने धर्म में पाप मानती है लेकिन ब्याज न लेकर ब्याज की जगह मुनाफा कमा लेती हैं


बोंड (bond)

किसी व्यक्ति या देश से लिया गया ब्याज पर पैसा


इस्लामिक बोंड (islamic bond)

किसी व्यक्ति या देश से लिया गया पैसा गिरवी वस्तु पर हो तो इस्लामिक बोंड कहलाता हैं


इसी तरह पाकिस्तान ने अपनी हाई-वे लाहोर से इस्लामाबाद जाती हैं उसको सात साल तक गिरवी रख कर लाॅन लिया


पाकिस्तान ने 1 बिलियन डॉलर लाॅन सात साल तक लिया है


सात साल तक जिस व्यक्ति या देश के पास हाई-वे को गिरवी रखा है वह उस सड़क पर आने वाला टैक्स लेगा


वह उस सड़क पर 7.95% जितना मुनाफा कमाएगा सात साल तक





तारा मण्डल

              तारा मण्डल

- सूर्य से दूर अन्नत तारों के समुह की आकृतियों को तारा    मण्डल कहा जाता है

- वर्तमान में आकृतियों की संख्या- 88 हैं

- मुख्य तारा मण्डल की आकृतिया

1. लघु सप्तऋषि (ursa minor )

     - यह सात तारों का समुह होता है इसके ठीक सामने

       ध्रुव तारा है जो उत्तर दिशा को दर्शाता हैं

2. वृहत सप्तऋषि ( ursa mejor )

     - यह भी सात तारों का समुह है इसके ठीक पीछे ध्रुव

       तारा है

3. हैंगर तारा मण्डल ( orion )

    - यह शिकारी के आकार का तारों का समुह है इसे मृग

      तारा मण्डल भी कहते हैं

   - इसके बीच में ज्यादा तारे होते है जिसके दक्षिण 

     पश्चिम में साइरस तारा मण्डल हैं

4. साइरस ( day star )

     - यह तारा मण्डल सबसे चमकीला हैं

नोट : सबसे बड़ा तारा मण्डल हाइड्रा तारा मण्डल हैं

         ध्रुव तारे को दिशा सूर्य सूचक कहा जाता हैं





संगठन एवं प्रणाली(पद्धति) संभाग

 संगठन एव प्रणाली का अर्थ - 

•प्रशासनिक सुधार विभाग का व्यापक अंग है |

•इसे 1955 में शासन सचिवालय में स्थापित किया गया

प्रशासकीय व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए संगठन एवं प्रणाली संभाग’ की स्थापना की जाती है । ‘संगठन’ व ‘प्रणाली’ दोनों शब्द एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं । इन दोनों का सम्मिलित उद्देश्य प्रशासनिक कार्य कुशलता एवं दक्षता में वृद्धि करना है ।


‘संगठन एवं प्रणाली संभाग’ की स्थापना से प्रशासनिक ढाँचे का पुनराव लोकन होता है तथा कार्य का सरलीकरण (Simplification) होता है । ओ. एण्ड. एम. इकाई विभिन्न विभागों की कार्य प्रणालियों का निरीक्षण व मूल्यांकन करती है तथा समस्याओं के निराकरण में अहम-भूमिका निभाती है ।


संगठन व प्रणाली अथवा ओ. एण्ड. एम. का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है-व्यापक एवं संकुचित अर्थ में । व्यापक अर्थ में इसका तात्पर्य ‘संगठन’ (Organization) एवं ‘प्रबन्ध’ (Management) से है । इसमें प्रबन्ध का सभी प्रक्रियाएँ यथा नियोजन, संगठन, संचालन, निदेशन, समन्वय आदि सभी सम्मिलित हो जाती हैं । )

संगठन एवं प्रणाली’ संभाग निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्थापित किया जाता है:


(1) प्रशासन में व्याप्त दोषों की छानबीन (Enquiry into the Defects of Administration):


संगठन व प्रणाली संभाग दो प्रकार की व्यवस्थाओं के साथ कार्य करता है-निषेधात्मक तथा सकारात्मक । निषेधात्मक (Negative) व्यवस्था के अन्तर्गत यह संभाग स्वयं को केवल प्रशासनिक दोषों की छानबीन तक सीमित रखता है । सकारात्मक (Positive) व्यवस्था के अन्तर्गत यह उन दोषों को दूर करने की आवश्यकता पर बल देता है ।


(2) रुचि उत्पन्न करना (To Create Interest):


संगठन व प्रणाली संभाग संगठन के दोषों को जानने के बाद उन्हें दूर करके प्रशासकीय कार्यकुशलता लाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत करता है जिससे कर्मचारी वर्ग में अपने कार्यों के प्रति स्वाभाविक रुचि जाग्रत होती है ।


(3) मितव्ययिता का सुझाव (Suggestions for Minimum Expenditure):


यह संभाग संगठन में कार्यों के कुशल एवं दक्ष सम्पादन हेतु ऐसी विधियों का सुझाव देता है जिससे फिजूलखर्ची पर नियन्त्रण स्थापित होता है तथा मितव्ययिता बनी रहती है ।


(4) समय व श्रम की बचत (Saving of Time and Labour):


यह संभाग न केवल धन की बचत से सम्बन्धित सुझाव देता है वरन् ऐसी कार्यप्रणालियों को भी निर्दिष्ट करता है जिनका अनुकरण करके निश्चित रूप से समय व श्रम की भी बचत होती है ।


(5) कार्यक्षमता में वृद्धि (To Increase the Efficiency):



संगठन व प्रणाली संभाग का सकारात्मक उद्देश्य विभाग में व्याप्त दोषों के निराकरण सम्बन्धी सुझाव देने के अतिरिक्त ऐसे सुझाव देना भी है जिनसे कार्य क्षमता में आवश्यक रूप से वृद्धि होती है ।


3. संगठन एवं प्रणाली संभाग के कार्य (Functions of Organization and Method):


उपर्युक्त वर्णित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ‘संगठन व प्रणाली संभाग’ निम्नलिखित कार्य करता है:


(1) पुरानी कार्यविधियाँ जो कि अनुपयोगी हो गयी हैं उनको अस्वीकृत करता है तथा शोध आदि के आधार पर नई विधियों से सम्बन्धित सुझाव देता है ।


(2) अभिलेख या रिकॉर्ड रखने से सम्बन्धित सुझाव देना ।


(3) प्रशासकीय प्रक्रियाओं के सरलीकरण से सम्बन्धित सुझाव देना ।


(4) कार्य विलम्ब के कारणों की खोज करना तथा उनके सन्तुलन के सुझाव देना ।


(5) प्रशासकीय कुशलता व द क्षता का निरन्तर विकास करना ।


(6) विभिन्न विभागों के मध्य आदान-प्रदान की व्यवस्था करते हुए समन्वयात्मक सम्बन्ध स्थापित करना ।


(7) लाल फीताशाही को नियन्त्रित करना तथा कर्मचारियों में चेतना जाग्रत करना


(8) एक सामान्य समाचार विभाग की स्थापना करना ।


4. संगठन व प्रणाली की तकनीकें (Techniques of O & M):


ओ. एण्ड एम. की कार्यकुशलता अथवा तकनीके निम्नवत् हैं:


(1) सर्वेक्षण (Survey):


सर्वेक्षण में सर्वप्रथम संगठन की वर्तमान स्थिति से सम्बन्धित तथ्यों का संकलन किया जाता है । इसके बाद समस्याओं के कारणों व समाधानों का पता लगाया जाता है । सर्वेक्षण हेतु निरीक्षण, साक्षात्कार एवं प्रश्नावली आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है ।


(2) निरीक्षण (Observation):


विश्लेषण विशेषज्ञ विभागीय अधिकारियों के कार्यालयों का निरीक्षण करते हैं कर्मचारियों के कार्यों की गुणवत्ता सुधारने के उपाय बताते हैं ।


(3) प्रपत्र नियन्त्रण (Form Control):


आधुनिक समय में शासन संचालन हेतु प्रपत्रों की आवश्यकता होती है । इन प्रपत्रों के माध्यम से कार्य-पद्धति को उत्तम बनाने का प्रयास किया जाता है । ओ. एण्ड एम. इन प्रपत्रों में सुधार लाने के लिये आवश्यक सुझाव देता है


(4) कार्य-माप (Work-Measurement):


इस विधि के द्वारा कार्यालय में सम्पन्न कार्यों एवं उन कार्यों को करने वाले व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है । यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति अपना कार्य उचित विधि से एवं निश्चित अवधि में पूर्ण कर रहा है या नहीं ।


कार्य-माप की तीन पद्धतियाँ प्रचलित हैं:


(i) परीक्षण व त्रुटि विधि (Trail and Error Method),


(ii) सांख्यिकीय विधि (Statistical Method) तथा


(iii) समय अध्ययन विधि (Time Study Method) ।


(5) कार्य सरलीकरण (Work Simplification):


कार्य सरलीकरण का अर्थ है कार्य की कम थकाने वाली विधियों का विकास करना । डॉ. अवस्थी व माहेश्वरी के अनुसार- ”कार्य सरलीकरण ओ. एण्ड. एम. का हृदय है ।” लाल फीताशाही की समस्या का प्रत्यक्ष सम्बन्ध कार्य सरलीकरण से है ।


(6) स्वचालन (Automation):


स्वचालन के द्वारा विलम्ब सम्बन्धी समस्याओं का समाधान किया जाता है । इसमें अधिकांश कार्य मशीनों की सहायता से किये जाते हैं । स्वचालन की प्रक्रिया में विद्युद्णु संगणक (Electronic Computers) काम में लाये जाते हैं ।


(7) फाइलों की व्यवस्था (Filing System):


इसमें अभिलेखों को व्यवस्थित रूप में किया जाता है व्यवस्थित रूप में होने पर किसी भी अभिलेख या फाइल को खोजने में कठिनाई का अनुभव नहीं होता है । आवश्यकता के समय अभिलेख तुरन्त मिल जाते हैं तथा कार्यवाही में विलम्ब नहीं होता है ।


5. ओ. एण्ड एम. के लाभ व हानियाँ (Advantages and Disadvantages of O & M):


लाभ (Advantages):


ओ. एण्ड. एम. से होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:


(1) ओ. एण्ड एम. में विशेषज्ञों के द्वारा प्रशासकीय कार्यों की समीक्षा की जाती है । इस प्रकार यह प्रशासनिक सुधार का एक महत्वपूर्ण साधन है ।


(2) यह प्रशासकीय कार्यालयों की कार्यविधि के दोषों को दूर कर उन्हें आधुनिक बनाने में सहयोग देता है ।


हानियाँ (Disadvantages):


ओ. एण्ड एम से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं:


(1) कर्मचारी अपने दायित्वों से विमुख होकर कार्यालय में जाँच पड़ताल के कार्य में संलग्न हो जाते हैं ।


(2) यद्यपि ओ एण्ड एम. स्टाफ कार्य है, किन्तु वे सूत्र अभिकरण (Line Agency) का कार्य करने लगते हैं ।


(3) प्रविधियों (Techniques) को अधिक महत्व दिया जाता है तथा मानवीय पक्ष की उपेक्षा की जाती है ।



 




 

6. भारत में ओ. एण्ड एम. (O & M in India):


स्वतन्त्रता के उपरान्त से भारत निरन्तर प्रयत्नशील है कि प्रशासनिक दक्षता किस प्रकार से प्राप्त की जाये तथा शासन को मितव्ययी बनाने के साथ-साथ अन्य सुधार किये जायें । इन्हीं प्रयासों के अन्तर्गत सर्वप्रथम सन् 1949 में गोपालास्वामी आयंगर ने तथा इसके बाद सन् 1951 में प्रो. ए. डी. गोरवाला ने प्रशासकीय संगठनों में ‘ओ. एण्ड एम संभाग’ स्थापित करने की सिफारिश की तदुपरान्त सन् 1952 में पॉल एच. एपिलबी ने भी इसी प्रकार की संस्तुति की ।


अन्तत: मार्च 1954 में केन्द्रीय सरकार के अधीन ‘संगठन व प्रणाली संभाग’ की स्थापना की गयी । केबिनेट सचिवालय में स्थित यह संभाग प्रधानमन्त्री के अधीन विभिन्न मन्त्रालयों एवं विभागों में आवश्यक प्रशासनिक सुधार करता है । सन् 1964 में गृह मन्त्रालय में प्रशासनिक सुधार आयोग की स्थापना के साथ ही ‘संगठन व प्रणाली संभाग’ को इसमें स्थानान्तरित कर दिया गया ।


वर्तमान भारतीय प्रशासकीय व्यवस्था में प्रत्येक विभाग में प्रशासकीय व्यवस्था का दायित्व ‘संगठन व प्रणाली संभाग’ पर होता है । उपसचिव स्तर का अधिकारी विभाग में इस स भाग पर नियन्त्रण रखता है । ‘केन्द्रीय संगठन व प्रणाली संभाग’ द्वारा विभिन्न विभागों में स्थित इस संभाग की इकाइयों पर नियन्त्रण स्थापित किया जाता है ।


संभाग की इन इकाइयों के अधिकारियों के मध्य परस्पर सम्पर्क बना रहता है । प्रत्येक संभाग का एक संचालक होता है तथा उसकी सहायतार्थ उप-संचालक व सहायक संचालक होते हैं भारत में ‘संगठन व प्रणाली संभाग’ सफलतापूर्वक कार्यरत है । ओ. एण्ड एम. ने मंत्रालयों एवं विभागों में अल्पधिक स्वच्छ वातावरण बनाये रखने के लिए 2005-06 के दौरान एक पुरस्कार योजना भी प्रारम्भ की है ।





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