pegasus
Pegasus स्पाईवेयर मामले में आज सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश आया है. इसमें कहा गया है कि पेगासस जासूसी मामले की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 300 भारतीय पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने पर थे. आइए जानते हैं आखिर ये पेगासस क्या है और ये कैसे काम करता है.
Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. जासूसी सॉफ्टवेयर होने की वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. इसके जरिए ग्लोबली 50,000 से ज्यादा फोन को टारगेट किया जा चुका है. इसमें 300 भारतीय भी हैं.
NSO Group का बनाया Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में इंस्टॉल होते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है.
इजरायली कंपनी के अनुसार इसे क्रिमिनल और टेररिस्ट को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है. इसे सिर्फ सरकार को ही कंपनी बेचती है. इसके सिंगल लाइसेंस के लिए 70 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. फोन की खामी का फायदा उठा Pegasus को इंस्टॉल किया जाता है. इसके लिए कई तरीकों का यूज किया जाता है.