- एक समय हिरण्यकश्यप राजा हुआ करते थे | उन्हें ब्रह्मा जी तथा महादेव जी से अनन्त वरदान प्राप्त थे |
जिनमें से एक यह था कि उसकी मृत्यु न तो दिन में होगी ना ही रात मे , जिसका उपयोग हिरण्यकश्यप ने बहुत है गलत किया | उसने खुद को भगवान मान लिया |
- हिरण्यकश्यप का पुत्र "प्रह्लाद" जो विष्णु जी का बड़ भक्त था |
-प्रह्लाद जी रोजाना सुबह जल्दी उठकर विष्णु जी की तपस्या में लग जाते थे | यह सब हिरण्यकश्यप को पसन्द नही था | उसने अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मारने का अनन्त प्रयास किये , लेकिन कभी सफल नही हुआ |
- हिरण्यकश्यप की एक बहन "होलिका" थी जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था |
- हिरण्यकश्यप ने एक दिन होलिका और प्रह्लाद को एक साथ बिठाकर आग लगा दी , जिसमें होलिका तो जल गई , लेकिन प्रह्लाद जी बच गए | ऐसा चमत्कार श्री विष्णु जी ने " नृसिंह का अवतार " लेके किया जिसमें उन्होंने आधा रुप मनुष्य तथा आधा सिंह का रुप लिया और हिरण्यकश्यप को मारा था ?
आज के ही दिन भगवान श्री विष्णु जी ने "श्री नृसिंह अवतार" लिया , उनके इस पुण्य पर्व पर आप सभी हार्दिक शुभकामनाएं